होम, हवन या यज्ञ क्या है? What is Homa, Havan or Yajna?
हिन्दू धर्म में सोलह संस्कारों (षोडश संस्कार) को विशेष महत्व दिया जाता है जो की हिन्दू धर्म में जन्मे व्यक्ति पर उसके गर्भाधान संस्कार से लेकर अन्त्येष्टि क्रिया तक किए जाते हैं. जन्म से लेकर मृत्यु तक के सोलह संस्कार या कोई भी शुभ अनुष्ठान यज्ञ अग्निहोत्र के बिना अधूरा माना जाता है.
होम, हवन या यज्ञ वैदिक परंपरा या हिंदू धर्म में शुद्धिकरण का एक अनुष्ठान है. अग्निकुण्ड में तंत्र-मंत्र के उच्चारण के साथ अग्नि को प्रस्थापित करके ईश्वर की उपासना करने की प्रक्रिया को यज्ञ कहते हैं. हवि, हव्य अथवा हविष्य वे पदार्थ हैं जिनकी अग्नि में आहुति दी जाती हैं (जो अग्नि में समर्पित किये जाते हैं).
हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करने के बाद इस पवित्र अग्नि में फल, शहद, घी, काष्ठ (समिधा / लकड़ी) आदि पदार्थों की आहुति प्रमुख होती है. अग्नि के संपर्क में आते ही किसी भी पदार्थ के गुण कई गुना बढ़ जाते हैं. उदाहरण के लिए, अगर अग्नि में घी डाला जाता है, तो उसकी सुगंध दूर-दूर तक फैल जाती है.
वैज्ञानिक तथ्य के अनुसार, जहां पर हवन होता है, उस जगह से रोग फैलाने वाले कीटाणु जल्दी ही नष्ट हो जाते हैं और वातावरण कीटाणु रहित हो जाता है.
शास्त्रों में, अग्नि देव को जगत के कल्याण का माध्यम माना गया है, जो हमारे द्वारा देवी-देवताओं को दिए गए यज्ञ आहुतियों को वहन करते हैं. जिसके कारण देवता संतुष्ट होकर यज्ञकर्ता की कार्यसिद्धि करते है.
हवन दो प्रकार के होते हैं, ‘वैदिक’ और ‘तांत्रिक’. आप वैदिक हवन कर सकते हैं या तांत्रिक हवन लेकिन दोनों प्रकार के हवन कुंड के लिए वेदी और भूमि का निर्माण करना अनिवार्य होता है.
अष्ट (8) सिद्धियां और नौ (9) निधियां
हवन के लिए किस प्रकार की भूमि की आवश्यकता होती है? What type of land is required for havan?
हवन करने के लिए सबसे अच्छी और उचित भूमि का चयन करना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. हवन के लिए सबसे उत्तम भूमि नदी के किनारे, नदी के संगम, मंदिर, या किसी भी बगीचे के परिसर की मानी जाती हैं. हवन कुंड के लिए दरार युक्त भूमि, केश युक्त भूमि तथा सांप की बाम्बी वाली भूमि को अशुभ माना जाता है.
हवन कुंड की बनावट कैसी होनी चाहिए? What should be the design of Havan Kund?
हवन कुंड में तीन चरण (वेदी) होते हैं, जिन्हें “मेखला” कहा जाता है. हवन कुंड के इन चरणों का रंग अलग-अलग होता हैं.
1. हवन कुंड के सबसे पहले चरण का रंग सफेद होता है.
2. दूसरे चरण का रंग लाल होता है.
3. अंतिम चरण का रंग काला होता है.
माना जाता है कि हवन कुंड के इन तीन चरणों में तीन देवता निवास करते हैं:
1. हवन कुंड के पहले चरण में विष्णु भगवान का वास होता है.
2. दूसरे चरण में ब्रह्मा जी का वास होता है.
3. तीसरे तथा अंतिम चरण में शिवजी का वास होता है.
तांत्रिक हवन कुंड क्या होता है? What is Tantric Havan Kund?
वैदिक हवन कुंड के अलावा कुछ यंत्रों का उपयोग तांत्रिक हवन कुंड में भी किया जाता है. त्रिभुज कुंड का उपयोग आमतौर पर तांत्रिक हवन करने के लिए किया जाता है.
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हवन करते समय किन गलतियों को नहीं करना चाहिए. What mistakes should not be done while performing Havan.
हवन कुंड के बाहर गिरने वाली सामग्री को पुनः हवन कुंड में नहीं डालना चाहिए. आमतौर पर, जब हवन किया जाता है, तो हवन सामग्री या आहुति को समर्पित करते समय कुछ सामग्री नीचे गिर जाती है. हवन पूरा होने के बाद, कुछ लोग इसे उठाकर पुनः हवन कुंड में डालते हैं. ऐसा करना वर्जित माना जाता है.
यदि हवन सामग्री हवन कुंड के ऊपरी वेदी पर गिरी है, तो आप इसे फिर से हवन कुंड में डाल सकते हैं. इसके अलावा, दोनों वेदीयों पर पड़ने वाली हवन सामग्री वरुण देवता का हिस्सा होता है. इसलिए, यह सामग्री उन्हें ही अर्पित की जानी चाहिए.
हवन कुंड के प्रकार. Types of Havan Kund.
हवन कुंड कई विभिन्न प्रकार के होते हैं. मुख्य रूप से आठ प्रकार के हवन कुंड होते हैं और सभी के उद्देश्य अलग-अलग होते हैं. जैसे कुछ हवन कुंड गोलाकार होते हैं, वैसे ही कुछ वर्गाकार होते हैं. कुछ हवन कुंडों का आकार त्रिकोण और अष्टकोण भी होता हैं.
1. योनी कुंड – योग्य पुत्र पाने के लिए.
2. अर्ध चंद्राकार कुंड – परिवार में शांति और खुशी के लिए. पति और पत्नी दोनों को एक साथ अर्धचंद्राकार कुंड में आहुति समर्पित करनी होती है.
3. त्रिकोण कुंड – शत्रुओं पर पूर्ण विजय के लिए.
4. वृत्त कुंड – जन कल्याण और देश मे शांति के लिए.
5. सम अष्टास्त्र कुंड – रोग निवारण के लिए.
6. सम षडास्त्र कुंड – शत्रुओं में लड़ाई का कारण करवाने के लिए.
7. चतुष् कोणास्त्र कुंड – सभी कार्यों की सिद्धि के लिए.
8. पदम कुंड – ‘सतीव्रतम’ प्रयोग और ‘मारन’ प्रयोगों से बचने के लिए.
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हवन कुंड का निर्माण आहुति के अनुसार किया जाता है. Havan Kund is constructed according to Ahuti.
– यदि आपको हवन में 50 या 100 आहुतियां देनी हैं, तो इसलिए छोटी उंगली (कनिष्ठा) से कोहनी तक के माप का एक हवन कुंड तैयार करें (लगभग 1 फुट 3 इंच).
– अगर आपको 1000 आहुतियां हवन करनी हैं, तो इसके लिए एक हाथ लंबा हवन कुंड तैयार करें (लगभग 1 फुट 6 इंच).
– एक लक्ष आहुतियों का हवन करने के लिए, चार हाथ लंबा हवन कुंड बनाएं (लगभग 6 फुट).
– दस लक्ष आहुतियों के लिए छह हाथ लंबा हवन कुंड तैयार करें (लगभग 9 फुट).
– कोटि आहुतियों का हवन करने के लिए 8 हाथ लंबा या 16 हाथ लंबा हवन कुंड तैयार करें (लगभग 12 फुट).
– अगर आप हवन कुंड नहीं बना पा रहे हैं, तो आप एक साधारण हवन करने के लिए स्वर्णकार पीली मिट्टी अथवा वालू- रेती का चार अंगुल ऊंचा अथवा एक अंगुल ऊंचा एक हाथ लम्बा-चौड़ा सुन्दर स्थण्डिल बनवा सकते हैं.
– इसके अलावा आप हवन कुंड के तौर पर बाजार में उपलब्ध तांबे या पीतल से बने हवन कुंड का भी उपयोग कर सकते हैं. शास्त्रों के अनुसार, आप हवन करने के लिए इन हवन कुंडों का उपयोग कर सकते हैं. पीतल या तांबे के ये हवन कुंड ऊपर से चौड़े मुंह और नीचे से छोटे मुंह वाले होते हैं. कई विद्वान हवन-बलिवैश्व-देव आदि के लिए उनका उपयोग करते हैं.
हवन के नियम. Rules of Havan.
वैदिक या तांत्रिक दोनों प्रकार के मानव कल्याण से संबंधित यज्ञ करने के लिए “मृगी” मुद्रा का प्रयोग हवन में किया जाना चाहिए.
– हवन कुंड में सामग्री अर्पित करने के लिए हमेशा शास्त्र, गुरु और आचार्य की आज्ञा का पालन करना चाहिए.
– हवन करते समय आपके मन में यह विश्वास होना चाहिए कि आपके द्वारा कुछ साध्य नहीं होगा. जो कुछ होगा वह गुरु द्वारा होगा.
– हवन कुंड बनाने के लिए, अड़गभूत वात, कंठ, मेखला और नाभि को आहुति और कुंड के आकार के अनुसार तय किया जाना चाहिए.
– अगर इस कार्य में कुछ कम या ज्यादा हो जाता है, तो यह बीमारियों, शोक, आदि की अशांति का कारण बन सकता है.
– इसलिए हवन निर्माण करते समय सिर्फ सुन्दरता का ध्यान नहीं रखना चाहिए बल्कि कुंड बनाने वाले से शास्त्रों के अनुसार कुंड तैयार करवाना चाहिए.
हवन करने के वैज्ञानिक लाभ. Scientific Benefits of Havan.
– हवन करने से हमारे शरीर के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं और शरीर आंतरिक रूप से शुद्ध हो जाता है.
– हवन करने से आसपास के वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है.
– हवन आसपास के वातावरण को शुद्ध करता है.
– हवन ताप नाशक भी होता हैं.
– हवन करने से वातावरण शुद्ध, पोषण और औषधीय बनाता है.
– हवन के अग्नि की गर्मी कीटनाशक का काम करती है.
– पृथ्वी गर्मी के कारण वातावरण में बिखरे खनिजों को आकर्षित करती है.
– कान के पर्दे के लिए मंत्रों की ध्वनि ऊर्जा बहुत फायदेमंद होती है.
– जहां हवन किया जाता है वहां कीटाणु की संख्या में कमी होती है.
– सूर्योदय और सूर्यास्त वह समय होता है जब हवन किया जाता है जो पर्यावरण और मनुष्यों को अधिकतम स्वास्थ्य प्रदान करता है.
हवन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सूचनाएं. Some important notifications related to havana.
अग्निवास का विचार: तिथि वार के अनुसार अग्नि का वास पृथ्वी ,आकाश और पाताल लोक में होता है. पृथ्वी का अग्निवास सभी सुखों का प्रदाता है, लेकिन आकाश का अग्निवास शारीरिक कष्ट और पाताल का अग्निवास धन हानि करता है. इसलिए, नित्य हवन, संस्कार और अनुष्ठानों को छोड़कर, अन्य पूजा कार्य में हवन के लिए अग्निवास जरूर देखना चाहिए.
हवन में क्या विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए? What special precautions should be taken in havan?
– मुंह से फूंककर, कपड़े या किसी अन्य चीज से धोक देकर हवन कुण्ड में अग्नि प्रज्ज्वलित करना या हवन की प्रज्ज्वलित अग्नि को भड़काना या छेड़ना नही चाहिए.
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