बाबा रामदेव जी (रामदेव पीर) का जीवन परिचय – Baba Ramdev Ji Biography in Hindi

बाबा रामदेव जी का जीवन परिचय - Baba Ramdev Ji Biography in Hindi

Baba Ramdev Ji (Ramdev Peer) Biography in Hindi – प्राचीन काल से ही भारत में महापुरुषों, संतों और महात्माओं का स्वर्णिम इतिहास रहा है. भारत की इस पावन धरती पर हर युग में अनेक महान विभूतियों ने जन्म लिया है और समाज को सही दिशा दिखाई है.

ऐसे ही एक महात्मा थे चौदहवीं शताब्दी के रामदेव जी, जिन्हें राजस्थान में लोकदेवता के रूप में जाना जाता है. रामदेव जी की पूजा पूरे राजस्थान सहित गुजरात समेत कई भारतीय राज्यों में की जाती है.

लोक देवता बाबा रामदेव जी का जीवन परिचय – Lok Devta Baba Ramdev Ji Biography In Hindi

वह चौदहवीं शताब्दी के एक महान शासक थे, जिनके बारे में माना जाता था कि उनके पास चमत्कारी शक्तियां थीं. उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों और दलितों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया था, इसीलिए भारत में कई ऐसे समाज और समुदाय हैं जो उन्हें अपने इष्ट देवता के रूप में पूजते हैं.

बाबा रामदेवजी न केवल हिन्दुओं के बल्कि मुस्लिम धर्मियों के भी आराध्य हैं और वे उन्हें रामसा पीर या रामशाह पीर के नाम से पूजते हैं. बाबा रामदेव जी को रामसा पीर, रामदेव पीर और पीरों के पीर के नाम से भी जाना जाता है.

भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष द्वितीया से लेकर दसमी तक रामदेवरा (जैसलमेर) स्थित उनकी समाधि पर भव्य मेला लगता है, जिसमें देश भर से लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

बाबा रामदेव जी की संक्षिप्त जीवनी – Baba Ramdev Ji Short Biography In Hindi

नाम रामदेव जी 
जन्म भाद्रपद शुक्ल द्वितीया वि.स. 1409
जन्म स्थानरुणिचा
पितातंवर वंशीय ठाकुर अजमाल जी
मातामैणादे
भाई वीरमदेव
बहन सुगना
धर्म  हिंदू
राज घरानातोमर वंशीय राजपूत
गुरु बालीनाथ
पत्नी उनका विवाह अमरकोट (वर्तमान में पाकिस्तान में) के सोधा राजपूत दलाई सिंह की बेटी निहालदे (नेतलदे) से हुआ था.
उत्तराधिकारी अजमल जी
मृत्यु / समाधी वि.स. 1442 में रुणीचाके राम सरोवर के किनारे जीवित समाधि ली
समाधी स्थानरामदेवरा

बाबा रामदेव जी एक वीर योद्धा होने के साथ-साथ एक महान समाज सुधारक भी थे. वे जाति व्यवस्था और वर्ण व्यवस्था में बिल्कुल भी विश्वास नहीं करते थे. रामदेव सभी मानव जाति की समानता में विश्वास करते थे, चाहे उच्च हो या निम्न, अमीर हो या गरीब, उनके पास कोई भेदभाव नहीं था.

उन्होंने दलितों को उनके इच्छित फल देकर उनका उत्थान किया. रामदेव जी ने समाज में व्याप्त छुआछूत, ऊंच-नीच आदि कुरीतियों को दूर कर सामाजिक समरसता की स्थापना की थी.

हिंदू अनुयायी बाबा रामदेव को कृष्ण का अवतार मानते हैं और मुसलमान उन्हें “रामसा पीर” मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं. उन्हें अक्सर घोड़े की सवारी करते हुए दिखाया गया है.

रामदेव जी के बड़े भाई वीरमदेव को बलराम का अवतार माना जाता है. भगवान रामदेव को भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है.

माना जाता है कि कामड़िया पंथ की शुरुआत रामदेवजी से हुई थी, उनके गुरु का नाम बलिनाथ था. यह भी प्रसिद्ध कथा है कि रामदेवजी ने बचपन में ही सतलमेर (पोकरण) क्षेत्र में तांत्रिक भैरव राक्षस का वध कर उसका आतंक समाप्त कर प्रजा को कष्टों से मुक्त किया था.

बाबा रामदेव जी ने ही पोकरण शहर को बसाया और रामदेवरा (रुणेचा) में रामसरोवर का निर्माण करवाया.

बाबा रामदेव ने 1442 में भाद्रपद शुक्ल एकादशी पर राजस्थान के रामदेवरा (पोकरण से 10 किमी) में जीवित समाधि ली. उनके के सम्मान में हर साल राजस्थान में कई मेलों का आयोजन किया जाता है.

बाबा रामदेव के अनुयायी राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, मुंबई, दिल्ली और देश के अन्य राज्यों में फैले हुए हैं.

बाबा रामदेव जी की कहानी – Baba Ramdev Ji Story In Hindi

लोक कथाओं के अनुसार रामदेवजी अलौकिक चमत्कारी शक्तियों के स्वामी थे और उनकी ख्याति दूर-दराज के देशों तक फैल चुकी थी.

किवदंती के अनुसार रामदेव जी की कीर्ति सुनकर एक बार मुसलमानों की पवित्र नगरी मक्का से पांच पीर रामदेव जी की शक्तियों की परीक्षा लेने राजस्थान आए थे.

रामदेवजी ने उन सबका आदरपूर्वक स्वागत किया और योग्य अतिथि समझकर भोजन करने का आग्रह किया. पीरों ने रामदेव जी के प्रस्ताव को मना करते हुए कहा की वे सिर्फ अपने निजी बर्तनों में ही खाना खाते हैं जो इस समय मक्का में हैं.

इस पर रामदेव जी मुस्कुराए और उन्होंने पीरो से कहा कि निश्चिंत रहो और अपने बर्तन आते हुए देखो और जब पीरों ने देखा तो उनके बर्तन मक्का से उड़ते हुए आ रहे थे. रामदेवजी की क्षमताओं और शक्तियों से संतुष्ट होकर उन्होंने रामदेवजी को प्रणाम किया और उनका नाम राम शाह पीर रख दिया.

रामदेव की शक्तियों से प्रभावित होकर पांचों पीरों ने आजीवन उनके साथ रहने का निश्चय किया. उन पांच पीरों की मौत के बाद उनकी मजारें भी रामदेव की समाधी के पास ही स्थित हैं.

रामदेव जयंती – Ramdev Jayanti In Hindi

रामदेव जयंती यानी बाबा रामदेव जी का जन्मदिन हर साल उनके भक्तों द्वारा पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. यह शुभ तिथि हिंदू पंचांग के भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की दूज को पड़ती है.

इस दिन को राजस्थान में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता है और रामदेवरा के मंदिर में “भादवा का मेला (Bhadwa ka Mela)” नामक एक अंतर-प्रांतीय मेले का आयोजन किया जाता है.

देश के कोने-कोने से लाखों हिंदू और मुस्लिम श्रद्धालु इस मेले में आते हैं और बाबा की समाधि पर मत्था टेकते हैं.

रामदेवरा तीर्थ – Ramdevra Temple In Hindi

रामदेवरा (रुणीचा) भारत में राजस्थान के जैसलमेर जिले में पोखरण से लगभग 12 किमी उत्तर में स्थित एक गांव है, जिसे विशेष रूप से रामदेवरा तीर्थ के नाम से जाना जाता है.

रामदेवरा में बाबा रामदेव जी का विशाल मंदिर है, जहां प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से एकादशी तक विशाल मेला लगता है. भाद्रपद द्वितीया को जयंती और भाद्रपद दशमी को समाधि पर्व मनाया जाता है.

बाबा रामदेव जी के मेले की सबसे बड़ी और मुख्य विशेषता यह है कि यहां साम्प्रदायिक सौहार्द्र बना रहता है, क्योंकि यहां हिंदू-मुस्लिम और अन्य धर्मों के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है.

इस मेले का एक अन्य आकर्षण कामड़ जाति की महिलाओं द्वारा बाबा रामदेव की भक्ति में किया जाने वाला तेरहताली नृत्य होता है.

बाबा रामदेव जी के अन्य मंदिर जोधपुर के पश्चिम में मसुरिया पहाड़ी पर, बिरंतिया (ब्यावर, अजमेर) और सुरता खेड़ा (चित्तौड़गढ़) में भी स्थित हैं.

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