अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना का अर्थ – Apne Pair Par Kulhadi Marna Muhavare Ka Matlab
अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना मुहावरे का अर्थ | अपना नुकसान स्वयं करना |
अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना मुहावरे का अर्थ
Apne Pair Par Kulhadi Marna Muhavre Ka Arth – अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना मुहावरे का अर्थ है स्वयं को हानि पहुंचाना, स्वयं अपना नुकसान करना, जानबूझकर स्वयं को संकट में डालना, संकट को आमंत्रित करना।
अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग
Apne Pair Par Kulhadi Marna Muhavre Ka Vakya Prayog
#1. वाक्य प्रयोग: जब सरकार की ओर से आधार कार्ड बनाकर मुफ्त दिए जा रहे थे तो अनूप ने इसे नजरअंदाज कर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली।
#2. वाक्य प्रयोग: साहूकार से फसल की अच्छी कीमत मिलने के बावजूद अत्यधिक लालच के कारण किसनलाल ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली।
#3. वाक्य प्रयोग: रमेश, तुमने अच्छी सरकारी नौकरी छोड़कर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारी है।
#4. वाक्य प्रयोग: मनोज एक अच्छा फुटबॉल खिलाड़ी था लेकिन अपने दोस्तों के बहकावे में आकर उसने क्रिकेटर बनने का फैसला किया, इसे ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना कहते हैं।
#5. वाक्य प्रयोग: थाने में बड़ी चोरी की वारदात को अंजाम देकर चोरों ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली।
मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।
प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।
मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।
मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।
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