अपना-सा मुंह लेकर रह जाना का अर्थ – Apna-sa Muh Lekar Reh Jana Muhavare Ka Matlab
अपना-सा मुंह लेकर रह जाना मुहावरे का अर्थ | अपमानित होने पर निराश होना, लज्जित महसूस करना। |
अपना-सा मुंह लेकर रह जाना मुहावरे का अर्थ
Apna-sa Muh Lekar Rah Jana Muhavre Ka Arth – अपना मुंह लेकर रह जाने का अर्थ होता है अपमानित होने पर निराश होना, लज्जित महसूस करना। अपना-सा मुंह लेकर रह जाना जैसे विचारों से हमे दूर ही रहना चाहिए क्योंकि इससे हमें काफी दुखों और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। होता यह है कि जब किसी व्यक्ति का झूठ पकड़ा जाता है तो वह व्यक्ति अपना-सा मुंह लेकर रह जाता है।
अपना-सा मुंह लेकर रह जाना मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग
Apna-sa Muh Lekar Rah Jana Muhavre Ka Vakya Prayog
#1. वाक्य प्रयोग: अपने बुरे व्यवहार के कारण आज सुहास को ऐसी बात सुनने को मिली कि वह अपना मुंह लिए रह गया।
#2. वाक्य प्रयोग: जब अजीत ने समय पर विशाल के पैसे नहीं लौटाए तो विशाल ने अजीत को बहुत भला-बुरा कहा, जिससे अजीत अपना सा मुंह लेकर रह गया।
#3. वाक्य प्रयोग: बबीता हमेशा दूसरों के सामने अपनी बड़ाई करती रहती थी लेकिन एक दिन उसकी सच्चाई सबके सामने आ गई जिससे सीता को बहुत शर्मिंदगी उठानी पड़ी और इसे कहते हैं अपना मुंह लेकर रह जाना।
#4. वाक्य प्रयोग: प्रसाद बार-बार बहाना बनाकर पैसे उधार लेता था, लेकिन एक दिन यह बात सभी को पता चल गई, जिसके कारण प्रसाद को अपना सा मुंह लेकर रहना पड़ा।
#5. वाक्य प्रयोग: जब सबको पता चला कि कुमार ने स्कूल के बारे में क्या झूठ बोला था तो मोहन शर्म से पानी-पानी हो गया और इसे ही कहते हैं अपना मुंह लेकर रह जाना।
मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।
प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।
मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।
मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।
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