अजब-गजब भातीय परंपरायें और रीति-रिवाज – Amazing & Shocking facts about tradition in India (in Hindi)

अजब-गजब भातीय परंपरायें और रीति-रिवाज - Amazing & Shocking facts about tradition in India (in Hindi)

Amazing Indian Traditions and Customs in Hindiभारत एक विशाल देश है जिसमें कई धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं. प्रत्येक धर्म के अपने कुछ परंपरागत रीति-रिवाज होते हैं. कुछ रीति-रिवाज ऐसे होते हैं जिन्हें समझा जा सकता है लेकिन कुछ रीति-रिवाज ऐसे भी होते हैं जिन पर विश्वास करना मुश्किल होता है.

आज हम आपको भारत के अलग-अलग धर्मों से जुड़े कुछ ऐसे रीति-रिवाजों के बारे में बताएंगे, जिनके बारे में सुनकर आप हैरान रह जाएंगे.

बच्चों को मिट्टी में गाड़ दिया जाता है

भारत की मिट्टी को बहुत पवित्र माना जाता है, इसीलिए कुछ लोग मिट्टी का तिलक भी लगाते हैं, लेकिन गुलबर्गा के मोमिनपुर गांव के लोग मिट्टी को इतना पवित्र मानते हैं कि वे अपने बच्चों को मिट्टी के अंदर उनकी गर्दन तक गाड़ देते हैं और लगभग 6 घंटे के लिए इसी अवस्था में रखते हैं. मान्यता के अनुसार इससे बच्चे के सभी शारीरिक और मानसिक रोग दूर हो जाते हैं और बच्चा पवित्र हो जाता है.

शादी नहीं होने पर लड़को की लाठियों से होती है पिटाई

राजस्थान के जोधपुर शहर में जिन लड़कों की शादी नहीं हो पाती है उन्हें लाठियों से पीटा जाता है. इन लड़कों की पिटाई सिर्फ शादीशुदा महिलाएं ही करती हैं. यहां यह माना जाता है कि जिन लड़को की शादी नहीं हो पाती, अगर उन्हें किसी विवाहित महिला के हाथ से पीटा जाता है, तो अगले साल ही उस लड़के की शादी हो जाती है. शादी के लालच में लड़के भी लाठी-डंडों से चुपचाप पीट लेते है.

मंदिर में लौकी का भोग लगाया जाता है और बच्चों की लंबी उम्र की प्रार्थना की जाती है

मंदिर में दूध, फूल, नारियल और प्रसाद चढ़ाने का आम चलन है, लेकिन क्या आप जानते हैं एक ऐसा मंदिर भी है जहां लौकी का भोग लगाया जाता है. छत्तीसगढ़ के रतनपुर में शाटन देवी का एक मंदिर है, जिसे बच्चो का मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर में मान्यता है कि जो भी पुरुष या महिला यहां लौकी का भोग लगाकर अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है.

पिंडदान नहीं बल्कि किसी की मृत्यु हो जाने पर किया जाता है “शिवलिंग दान”

हिंदू धर्म में यदि किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्म-शांति के लिए पिंडदान किया जाता है, लेकिन वाराणसी के जंगमवाड़ी मठ की परंपरा के अनुसार यदि किसी की मृत्यु हो जाती है तो वह पिंडदान के स्थान पर शिवलिंग का दान करते हैं और यदि किसी की आकस्मिक मृत्यु हो जाती है तो यहां शिवलिंग की स्थापना भी की जाती है. यहां पर अब तक लगभग दस लाख से अधिक शिवलिंग स्थापित किये जा चुके है.

पहाड़ तय करता है कि गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की

झारखंड के बेड़ो प्रखंड के खुखरा गांव में एक पुराण पर्वत है, जिस पर चंद्रमा की आकृति बनी है. जिस स्त्री को संतान होने वाली है वह इस चन्द्र आकृति पर एक निश्चित दूरी से एक पत्थर फेंकती है, यदि यह पत्थर चन्द्रमा के आकार के मध्य में लग जाए तो यह माना जाता है कि यह लड़का होगा और यदि यह बाहर लगता है तो ऐसा माना जाता है कि यह एक लड़की होगी.

ग्रहों की स्थिति बदलने जैसे अंधविश्वासों के कारण लड़कियों की शादी कुत्तों से की जाती है

झारखंड के कुछ गांवों में लड़की के बुरे ग्रहों को बदलने के लिए उसकी शादी कुत्ते से कर दी जाती है, हालांकि यह शादी थोड़े समय के लिए ही होती है, लेकिन इसमें सभी लोगों को बुलाया जाता है और पूरी परंपरा के अनुसार इस प्रतीकात्मक विवाह को संपन्न किया जाता है.

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गायों के सामने लेटना

मध्य प्रदेश के उज्जैन के कुछ गांवों की परंपरा के अनुसार दिवाली के अगले दिन एकादशी पर्व पर लोग गायों के सामने लेट जाते है. ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से घर में लक्ष्मी आती है.

भाई को बहनें देती हैं मर जाने का श्राप

बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं, यह तो आपने सुना होगा और आपने अपनी बहनों को ऐसा करते देखा भी होगा, लेकिन उत्तर भारतीय समुदायों में एक बहुत ही अजीब प्रथा है, जिसके कारण भाई दूज के दिन बहनें यम की पूजा करती हैं और अपने भाइयों को मरने का श्राप देती है. मान्यता है कि भाई दूज के दिन ऐसा करने से भाइयों के लिए मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है.

मेंढकों के विवाह से प्रसन्न किये जाते हैं इंद्र देवता

महाराष्ट्र में, यदि कम या कोई बारिश नहीं होती है, तो अच्छी बारिश पाने के लिए मेंढकों की शादी कर दी जाती है और फिर उन्हें तालाब में छोड़ दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि मेंढकों का विवाह देखकर इंद्र प्रसन्न हो जाते हैं और फिर जमकर बारिश होती है.