AK-47 राइफल का इतिहास और रोचक तथ्य – History & interesting facts about AK-47 rifle in Hindi

History & interesting facts about AK-47 rifle - AK-47 राइफल का इतिहास और रोचक तथ्य

AK-47 in Hindi – आज हम बात करेंगे एक ऐसे घातक और विनाशकारी हथियार के बारे में जिसका नाम भी रूह को झकझोर कर रख देता है, जो आज भी दुनिया की सेनाओं से लेकर आतंकी संगठनों तक की सबसे मशहूर राइफल है और वह हथियार है AK-47 राइफल.

AK-47 राइफल का उपयोग भारत में केवल सेना, पुलिस या विशेष सेनाबल द्वारा ही किया जाता है. इनके अलावा दुनिया भर के आतंकी अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं.

भारत में आम आदमी के लिए AK-47 रखना या उसका इस्तेमाल करना गैरकानूनी है. इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अगर AK-47 किसी आम आदमी से बरामद होती है तो उसके खिलाफ सीधे तौर पर देशद्रोह का मामला दर्ज होता है.

आज हम आपको AK-47 का संक्षिप्त इतिहास और उससे जुड़े कुछ खास तथ्य बताने जा रहे हैं.

एके-47 के आविष्कार की कहानी – The story of the AK-47 invention 

AK-47 का पूरा नाम है Automatic Kalashnikov – 47. इसके साथ ’47’ इस लिए जोड़ा गया है क्योंकि इस शस्त्र का निर्माण साल 1947 में किया गया था. इसका नाम इसके संस्थापक मिखाइल कलाश्निकोव (Mikhail Kalashnikov) के नाम पर रखा गया था.

कौन थे मिखाइल कलाश्निकोव? Who was Mikhail Kalashnikov?

कलाश्निकोव का पूरा नाम ‘मिखाइल टिमोफेयेविच कलाश्निकोव’ (Mikhail Timofeyevich Kalashnikov) है. उनका जन्म 10 नवंबर, 1919 को रूस के ‘कुर्या’ (Kurya) नामक ग्रामीण इलाके में हुआ था. कलाश्निकोव 19 भाई-बहनों में 17वें नंबर पर थे. 

कलाश्निकोव के पिता एक किसान थे. गरीबी के चलते छह साल की उम्र में ही उन्हें कई बीमारियों ने घेर लिया था, जिसके बाद डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया था. बाद में बड़ी मुश्किल से उसकी जान बचाई जा सकी.

कलाश्निकोव को बचपन से ही मशीनों का बहुत शौक था. वह मशीन को देखकर ही खुश हो जाते थे, वह यह देखने के लिए उत्सुक रहते थे कि उसमें क्या है. 

बचपन में मिखाइल कलाश्निकोव (Mikhail Kalashnikov) ने भविष्य में ऐसे उपकरण बनाने की सोची थी जिससे खेती करना आसान हो जाए. लेकिन किस्मत ने उनके हाथो ऐसे हथियार का अविष्कार करवा दिया जिससे विश्व में सबसे ज्यादा हत्याएं हुई हैं.

मशीनों के प्रति बेहद लगाव की वजह से 1938 में उन्हें रूस की ‘रेड आर्मी’ (Red Army) में जगह मिली. क्योंकि उनका कद सेना में शामिल होने के लिए पर्याप्त नहीं था, इसलिए उन्हें ‘रेड आर्मी’ में शामिल किया गया था.

कलाश्निकोव को दुश्मन की स्थिति का पता लगाने वाली मशीन को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. मशीनों के अपने ज्ञान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चूका हैं. सेना में रहते हुए वह टैंक कमांडर की भूमिका भी निभा चुके है.

दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक टैंक का संचालन करते समय वह घायल हो गए थे. कलाश्निकोव को कंधे की चोट के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने सोवियत राइफल्स की शिकायत करने वाले घायल सैनिकों की बातें सुनी और इसे बदलने का फैसला किया और एक हथियार डिजाइनर के रूप में अपना करियर शुरू किया. 

कलाश्निकोव ने ठान लिया था कि वह रूस के सैनिकों के लिए ऐसा हथियार बनाएंगे जिससे वे अपने देश के लिए गर्व महसूस कर सकें. उस समय उनकी उम्र सिर्फ 21 साल थी. फिर 1942 से 1947 तक 5 साल की कड़ी मेहनत के बाद कलाश्निकोव ने एक ऐसा अत्याधुनिक शस्त्र बनाया जिसे आज हम AK-47 कहते हैं. इसका पहला मॉडल 1948 में सोवियत सेना में शामिल किया गया था.

काफी मेहनत और बाधाओं के बाद बनी इस राइफल में कई बातों का ध्यान रखा गया था. इसे रूसी सैनिकों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया था.

रूस की सीमाओं पर बहुत ठंड होती है, जिसके कारण सैनिकों को मोटे-मोटे दस्ताने पहनने पड़ते थे जिससे उनके लिए बंदूकें चलाना मुश्किल हो जाता था. कई बार तो ऐसा होता था कि निशाना चूक जाता था और राइफल का ट्रिगर भी नहीं दबता था.

यही वजह है कि AK-47 सीरीज की राइफलों में कई ऐसी खूबियां हैं कि इसे बिना ट्रेनिंग लिए भी चलाया जा सकता है. 

AK-47 जल्द ही अपनी खूबियों के कारण पूरी दुनिया में मशहूर हो गई और सभी देशों की सेनाओं ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.

मिखाइल कलाश्निकोव (Mikhail Kalashnikov) ने अपने सबसे बड़े आविष्कार AK-47 की बिक्री से कभी पैसा नहीं कमाया. 2013 में 94 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.

एक खूंखार सीरियल किलर जिसका सिर 1841 से संरक्षित रखा गया है (A dreaded serial killer whose head has been preserved since 1841)

Interesting facts about AK-47 rifle – AK-47 राइफल के बारे में रोचक तथ्य

#1. पहली AK-47 राइफल 1947 में बनाई गई थी. और 1949 से, यह सोवियत और रूसी सेना की मानक राइफल बनी हुई है.

#2. AK-47 गैस से चलने वाली, एक सेलेक्टिव-फायर राइफल है. सेलेक्टिव फायर का मतलब है, शूटर या तो एक-एक करके फायर कर सकता है या एक ही बार में पूरी मैगजीन को खाली कर सकता है.

#3. AK-47 राइफल दुनिया की इकलौती ऐसी राइफल है, जो किसी भी वातावरण यानी पानी, रेत या मिट्टी आदि में कहीं भी काम कर सकती है.

#4. AK-47 की लंबाई महज 3 फीट और गोलियों से भरी एक AK-47 राइफल का वजन 4.5 किलोग्राम होता है.

#5. AK-47 दुनिया की एकमात्र ऐसी सटीक राइफल है जिसे बच्चे भी आसानी से चला सकते हैं. यही वजह है कि AK-47 चलाते हुए कई बच्चों की तस्वीर आप देख सकते हैं.

#6. AK-47 द्वारा 300 से 400 मीटर की दूरी तक सटीक निशाना लगाया जा सकता है. निशानेबाज अगर कुशल हो तो 800 मीटर की दूरी पर भी लक्ष्य पर निशाना साध सकता है.

#7. AK-47 से बिना रुके एक मिनट में 600 गोलियां दागी जा सकती है, यानी एक सेकेंड में 10 गोलियां. इसकी वजह AK-47 का बड़ा गैस चैंबर और स्प्रिंग है.

#8. दुनिया में किसी भी अन्य बंदूक से ज्यादा AK-47 की नकल की जाती है. यह केवल 8 भागों (पुर्जों) से बनी होती है और इन्हें एक मिनट से भी कम समय में जोड़ा किया जा सकता है.

#9. AK-47 की भेदन शक्ति इतनी शक्तिशाली है कि यह कुछ दीवारों, यहां तक कि कार के धातु के दरवाजों को भी भेद सकती है और पीछे बैठे व्यक्ति को निशाना बना सकती है.

#10. AK-47 गन की लाइफ 6000 से 15000 राउंड तक होती है. AK-47 के मैगजीन में 30 राउंड होते हैं.

#11. AK-47 का AKM संस्करण वर्तमान में दुनिया की सबसे हल्की राइफल है. फुल लोड होने के बाद भी इस राइफल का वजन सिर्फ 3.1 किलो होता है. इससे एक मिनट में 640 राउंड किए जा सकते है.

#12. आधुनिक AK-47 राइफल में ग्रेनेड लांचर (Grenade Launcher) भी जोड़ा जा सकता है. इस खतरनाक हथियार को किसी भी एंगल से दागा जा सकता है.

#13. AK-47 दुनिया की सबसे बड़ी मात्रा में अवैध रूप से बेची जाने वाली राइफल है.

#14. अफगानिस्तान से लेकर जिम्बाब्वे तक दुनिया के 106 देशों की सेना और कुछ विशेष सेनाबल आज AK-47 का इस्तेमाल करते हैं.

#15. इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को शुद्ध सोने से बनी एक AK-47 उपहार में मिली थी, जिसे 2003 में इराक पर आक्रमण के बाद अमेरिकी सैनिकों ने जब्त कर लिया था.

#16. ओसामा बिन लादेन अपने वीडियो में हमेशा AK-47 लिए नजर आता था. ऐसा माना जाता है कि अफगानिस्तान में सोवियत संघ से लड़ने के लिए अमेरिका ने ही लादेन को पहली AK-47 दी हो.

#17. AK-47 का सबसे ज्यादा दुरुपयोग अफगानिस्तान में आतंकी संगठन तालिबान ने किया है.

#18. किसी भी देश का आम नागरिक AK-47 अपने पास नहीं रख सकता. भारत में यह कानून और भी सख्त है. बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता संजय दत्त को भी एके-47 रखने के आरोप में जेल की हवा खानी पड़ी थी.

#19. रूस न केवल दुनिया को AK-47 की आपूर्ति करता है, बल्कि 30 अन्य देशों के पास भी इसे बनाने का लाइसेंस है. जैसे:- भारत, चीन, इस्राइल, मिस्र, नाइजीरिया आदि. इनमें से चीन सबसे अधिक मात्रा में AK-47 का निर्माण करता है.

#20. लाइसेंस प्राप्त देशों की कंपनियों ने AK-47 राइफल के 200 से अधिक वेरिएंट का उत्पादन किया है.

#21. AK-47 का नाम ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में इसलिए शामिल है क्योंकि यह दुनिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला हथियार है. आज तक, दुनिया में लगभग 10 करोड़ AK-47 हैं, जिसका अर्थ है प्रत्येक 70 लोगों पर एक.

#22. हवाई हमलों और रॉकेट हमलों से अब तक जितनी मौतें नहीं हुई हैं, उससे कहीं ज्यादा मौतें AK-47 से हो चुकी हैं. AK-47 से हर साल ढाई लाख लोगों की मौत होती है.

आतंकी ज्यादातर AK-47 गन का ही इस्तेमाल क्यों करते हैं? Why do terrorists use AK-47 gun mostly?

AK-47 को दोबारा लोड करने में महज 2.5 सेकेंड का समय लगता है. और बंदूक की बैरल से गोली छोड़ने की गति 710 मीटर प्रति सेकेंड होती है. इसे चलाने के लिए किसी विशेष प्रशिक्षण की भी आवश्यकता नहीं होती है. इस पर मौसम और वातावरण का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, इससे पानी के नीचे भी गोलियां चलाई जा सकती हैं. इसकी साफ-सफाई और रखरखाव करना भी बहुत आसान है. यह कुछ ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से आज भी AK-47 आतंकियों की पहली पसंद बनी हुई है.

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