आंख और कान में चार अंगुल का फर्क मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Aankh aur kaan mein char angul ka fark Muhavara)

Aankh aur kaan mein char angul ka fark Muhavare Ka Matlab

आंख और कान में चार अंगुल का फर्क का अर्थ – Aankh aur kaan mein char angul ka fark Muhavare Ka Matlab

आंख और कान में चार अंगुल का फर्क मुहावरे का अर्थआंखों देखी बात का विश्वास करना
Aankh aur kaan mein char angul ka fark

आंख और कान में चार अंगुल का फर्क मुहावरे का अर्थ

Aankh aur kaan mein char angul ka fark Muhavre Ka Arth – आंख और कान में चार अंगुल का फर्क मुहावरे का अर्थ है कि हमें हमेशा अपनी आंखों पर विश्वास करना चाहिए न कि दूसरों की सुनी-सुनाई बातों पर।

आंख और कान में चार अंगुल का फर्क मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग

Aankh aur kaan mein char angul ka fark Muhavre Ka Vakya Prayog

#1. वाक्य प्रयोग: दिनेश ने अर्णव से सुना था कि आज वह घर पर 12 आम लाया है, जब दिनेश ने अपने 6 दोस्तों को आम खाने के लिए बुलाया तो वहां केवल 2 आम थे, यही होता है आंख और कान में चार अंगुल का फर्क होना।

#2. वाक्य प्रयोग: दिनेश ने किशोर से कहा कि आज गांव की पंचायत ऑफिस की छुट्टी है, लेकिन किशोर के भाई ने समझा कि आज स्कूल की छुट्टी है और वह घर पर ही रह गया, इसे कहते हैं आंख और कान में चार अंगुल का फर्क होना।

#3. वाक्य प्रयोग: गायत्री ने पड़ोसन से सुना था कि बाजार में साड़ी की सेल चल रही है और उसने यह बात अपनी मां को भी बताई, लेकिन जब गायत्री अपनी मां के साथ बाजार गई तो वहां कोई सेल नहीं चल रहा था, यही होता है आंख और कान में चार अंगुल का फर्क होना।

मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।

प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।

मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।

मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।

मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।

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