हिंदू धर्म में 108 नंबर का महत्व हिंदी में – Significance Of Number 108 In Hindu Religion In Hindi
आपने कई बार देखा होगा कि हिंदू धर्म में 108 नंबर का एक अलग ही महत्व है, चाहे वह मंत्र जाप के माला के मोती हों, पूजा-पाठ हो या कोई अन्य धार्मिक कार्य.
यदि हमें किसी मंत्र का जाप करने के लिए कहा जाए तो वह प्रायः 108 बार कहा जाता है. रुद्राक्ष की माला (Rudraksha Mala) में मनकों की कुल संख्या 108 होती है.
क्या आप जानते हैं 108 अंक का क्या महत्व है? हिंदू धर्म में 108 अंक को शुभ क्यों माना जाता है? हम आध्यात्मिक नाम के आगे श्री 108 क्यों लगाते हैं?
आज इस लेख में हम आपको हिंदू धर्म में 108 नंबर के महत्व (108 Number Ka Mahatva) के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार है महत्वपूर्ण – Significance according to astrology
हिंदू ज्योतिष के अनुसार ब्रह्मांड (Universe) को 12 भागों में बांटा गया है. इन 12 भागों के नाम हैं मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन.
इन 12 राशियों (Zodiac) में नौ ग्रह सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु भ्रमण करते हैं. इसलिए यदि ग्रहों की संख्या 9 को राशि के 12 अंक से गुणा किया जाए तो 108 का अंक प्राप्त होता है.
इसके साथ ही कुल 27 नक्षत्र (Constellation) हैं. प्रत्येक नक्षत्र में 4 चरण होते हैं और 27 नक्षत्रों के कुल 108 चरण होते हैं. माला का प्रत्येक मनका नक्षत्र के प्रत्येक चरण का प्रतिनिधित्व करता है.
अब आप समझ ही गए होंगे कि हिंदू धर्म में 108 को शुभ क्यों माना जाता है.
भगवान शिव से जुड़ा है महत्व – Significance is associated with Lord Shiva
108 को भगवान शिव (Lord Shiva) का अंक भी माना जाता है. इसके पीछे कारण यह है कि प्रमुख शिवांगों की संख्या 108 होती है.
भगवान शिव के क्रोध से सभी परिचित हैं. यह तो सभी जानते हैं कि भगवान शिव जब क्रोधित होते हैं तो तांडव (Tandav) करते हैं, जो की एक अलौकिक नृत्य है.
इस तांडव नृत्य (Tandava dance) में 108 मुद्राएं होती हैं. इतना ही नहीं पुराणों में भगवान शिव के 108 गुणों का वर्णन भी मिलता है. 108 रुद्राक्ष की बनी हुई माला से भगवान शिव का जप किया जाता है.
सभी शैव संप्रदायों में, विशेष रूप से लिंगायत संप्रदाय में, रुद्राक्ष की माला में 108 मनके होते हैं, जिनका जाप किया जाता है.
108 गोपियां भी हैं कारण
भगवान कृष्ण के लाखों गोपियां थीं, लेकिन वे वृंदावन की गोपियों से अधिक प्रेम करते थे. दरअसल भगवान कृष्ण का बचपन वृंदावन में ही बीता था. वृंदावन, गोकुल, बरसाने और नंदगांव की गोपियां उन्हें बहुत ज्यादा प्रिय थीं.
गौड़ीय वैष्णव मत के अनुसार वृंदावन में गोपियों की कुल संख्या 108 थी. इन 108 गोपियों के नाम जपने से भगवान कृष्ण अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं.
इन नामों को बहुत पवित्र और शुभ माना जाता है. साथ ही, श्री वैष्णववाद में भगवान विष्णु के कुल 108 दिव्य क्षेत्रों का वर्णन किया गया है, इसे दिव्यदेशम (Divya Desam) कहा जाता है.
पवित्र गंगा नदी से जुड़ी है अहमियत – Significance is attached to the holy Ganges river
गंगा नदी को हिंदू संस्कृति में देवी (Goddess) का दर्जा दिया गया है. लोग श्रद्धापूर्वक अपने घरों में गंगाजल रखते हैं और गंगा जल (Gangajal) का उपयोग पूजा-पाठ और शुभ कार्यों में किया जाता है क्योंकि गंगाजल को बहुत पवित्र माना जाता है.
वहीं स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों द्वारा गंगा नदी की पूजा भी की जाती है और इसे जीवनदायिनी (Life-giving) कहा जाता है. गंगा नदी को बहुत ही निर्मल और शुद्ध माना गया है.
यह नदी 12 डिग्री देशांतर (Longitude) और 9 डिग्री अक्षांश (Latitude) में फैली हुई है, अगर इन संख्याओं को गुणा किया जाए तो 108 अंक प्राप्त होता हैं.
पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी भी मायने रखती है – The distance between the Earth and the Sun is also matter
आपने कभी भी पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी का अनुमान नहीं लगाया होगा, लेकिन 108 अंक इस कठिन समीकरण को आसानी से हल कर देता हैं. दरअसल, सूर्य से पृथ्वी की दूरी सूर्य के व्यास का लगभग 108 गुना है.
मानवीय भावनाओं से संबंध – Relation to human emotions
इंसान के मन में भावनाओं का तूफान होता है, लेकिन ज्यादातर लोग दो या चार तरह की भावनाओं से वाकिफ होते हैं जबकि इंसान के अंदर 108 भावनाएं होती हैं.
इसमें 36 भावनाएं हमारे अतीत से जुड़ी हैं, 36 भावनाएं भविष्य से और 36 भावनाएं वर्तमान से जुड़ी होती हैं.
समुद्र मंथन से जुड़ा है रहस्य – The mystery is related to the Samudra Manthan
समुद्र मंथन की पौराणिक कथा तो लगभग सभी ने सुनी होगी. समुद्र मंथन के समय मंदार पर्वत को वासुकी नाग से बांधकर क्षीर सागर पर मंथन किया गया था. इस मंथन में एक ओर देवता और दूसरी ओर राक्षस थे. दोनों गण मिलकर समुद्र मंथन कर रहे थे.
समुद्र मंथन की घटना को कंबोडिया के प्रसिद्ध अंगकोरवाट मंदिर (Angkor Wat) की नक्काशी में दर्शाया गया है. इस नक्काशी में दर्शाया गया है कि क्षीर सागर पर मंदार पर्वत पर बंधे वासुकी नाग को 54 देवता और 54 राक्षस अपनी-अपनी ओर खींच रहे है. अगर इसे जोड़ दिया जाए तो कुल 108 लोगों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था.
बौद्ध और जैन धर्म में भी 108 को शुभ माना जाता है – 108 is considered auspicious even in Buddhism and Jainism
हिंदू धर्म के अलावा कई अन्य धर्मों और संस्कृतियों में भी 108 अंकों का महत्व है.
बौद्ध धर्म में भी पूजा की माला में मनकों (Beads) की संख्या 108 है. बौद्ध धर्म के कई प्रसिद्ध मंदिरों में सीढ़ियों की संख्या भी 108 है. मंदिर में 108 सीढ़ियां चढ़कर प्रवेश करना लाभकारी माना जाता है.
बौद्ध धर्म की कई शाखाओं में भी यह माना जाता है कि व्यक्ति के भीतर 108 प्रकार की भावनाएं पैदा होती हैं.
इसके अलावा, जैन धर्म के धर्मगुरु या अनुयायी अपनी कलाई पर बांधने वाले जपमाला (Rosary) की कुल संख्या भी 108 ही होती है. जैन धर्म के लोग भी 108 बार नवकार मंत्र (Navkar Mantra) का जाप करते हैं.
वहीं, जापानी संस्कृति में, बौद्ध धर्म के अनुयायी गुजरते साल को अलविदा कहने और नए साल के आगमन के लिए मंदिर की घंटियों को 108 बार बजाते हैं.
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