क्या है आठ (अष्ट) प्रहर? What is Eight Prahar?

क्या है आठ (अष्ट) प्रहर? What is Eight Prahar?

24 घंटे के 8 प्रहर कौन से होते हैं? What are the 8 Prahars of 24 hours?

दोस्तों हम जानते है की एक दिन पूरे चौबीस घंटे का होता है जिसे आज की घड़ी में हम सीधे-सीधे दिन और रात में बाँट देते है, और अगर दिन की बात करे तो इसे भी हम सुबह, दोपहर और शाम में बाँट देते है, ऐसा हम इसलिए करते ताकि हम अपने कार्य का विवरण दे सके और समय से बाधित न हो – उदाहरण के तौर पर अगर मैं यह कहता हुं की “मैंने सुबह नाश्ता किया” तो हमे ज्ञात होता है की मैंने दिन की शुरुआत में नाश्ता किया था, परन्तु कितने बजे नाश्ता किया था यह ज्ञात नही होता पर समय का सही आकलन होता है.

प्रहर के कितने प्रकार होते है? How many types of Prahars are there?

क्या आप जानते है की सनातन भारतीय कालगणना में एक दिन के आठ प्रहर होते हैं, जिसमें दिन के चार और रात के चार प्रहर होते है. औसतन हर एक प्रहर तीन घंटे या साढ़े सात घटी का होता है (एक घटी २४ मिनट की होती है), जिसमें दो मुहूर्त होते हैं.

पूरे दिन के आठ प्रहर इस तरह वर्गीकृत किये गये है  (What are the names of 8 Prahars of a day?)

दिन के चार प्रहर (१) पूर्वान्ह (२) मध्यान्ह (३) अपरान्ह और (४) सायंकाल,

रात के चार प्रहर (१) प्रदोष (२) निशिथ (३) त्रियामा एवं (३) उषा

प्रत्येक प्रहर किसी विशिष्ट कार्य के लिये उचित माना जाता है जैसे गायन, पूजन, जप और प्रार्थना का प्रत्तेक प्रहर में विशेष महत्व है, जैसे की “ब्रह्म मुहूर्त” योग साधना और ध्यान लगाने के लिये सर्वोत्तम कहा गया है.

दिन के आठ प्रहर की पद्धति किस प्रकार है? What is the system of the eight Prahars of the day?

जैसा की हम जानते है की पृथ्वी पर सभी जगह समय क्षेत्र (Time Zone) एक जैसा नही होता, मतलब अगर भारत मे जब दोपहर के १ बजे हो तब इंग्लैंड मे सुबह के ७. ३० बजे होंगे, भारत का समय इंग्लैंड के समय से ५. ३० घंटे आगे है, ऐसा इसलिये क्योंकि भारत मे सूर्य दर्शन होते ही यहां दिन की शुरुआत हो जाती है, अब आगे देखते है की कैसे सूर्योदय से लेकर प्रहर विभाजित होते है, यहां हम उदाहरण के तौर पर सूर्योदय का समय ७ बजे का मानकर चलते है .

एक प्रहर तीन घंटे का होता है. सूर्योदय के समय दिन का पहला प्रहर प्रारंभ होता है जिसे “पूर्वान्ह (सु. ७ से – सु. १० तक)” कहा जाता हैं, दिन का दूसरा प्रहर जब सूरज सिर पर आ जाता है तब तक रहता है जिसे “मध्याह्न (सु. १० से – दो. १ तक)” कहते हैं, इसके बाद “अपरान्ह (दो. १ से – शा. ४ तक)” समय शुरू होता है, ४ बजे बाद दिन के अस्त तक “सायंकाल (शा. ४ से – शा. ७ तक)” समय है, फिर क्रमश: “प्रदोष (शा. ७ से – रा. १० तक)”, “निशिथ (रा. १० से – सु. १ तक)”, “त्रियामा (सु. १ से – सु. ४ तक)” एवं “उषा (सु. ४ से – सु. ७ तक)” प्रहर है.

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